देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ख़ास (कविता) Editior's Choice

मनुष्य गुणों से ही तो ख़ास होता है
इसीलिए तो वह
दिल के पास होता है।
ईश्वर के अवतारी युग–
त्रेता हो या द्वापर
राम के ख़ास हनुमान
कृष्ण के ख़ास सुदामा
है सखा भाव की परिपक्वता

ऐसे ही नायकत्व से इस आदिम होते युग में
सख्य भाव की तलाश है
जिसकी सखा
ख़ास है– वह
तुम हो या की मैं
या सूरज की परछाई
या हवा में महक पसारती
बसंत!
है वह ख़ास
मेरे अंतस की साँस
वह सखा जिसकी
शाखा हज़ार-हज़ार बाहों वाली हो
जो वसुधैव कुटुंबकम् का प्रतीक हो
जिसमें भारत का भाष्य हो
अतीत, वर्तमान, भविष्य का।

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)


रचनाकार : विनय विश्वा
  • विषय :
लेखन तिथि : 2024
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें