देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ख़ुद के दर्द से जाने कब से हूँ परेशाँ मैं (शेर) Editior's Choice

ख़ुद के दर्द से जाने कब से हूँ परेशाँ मैं,
नींद से गिला क्या कि रात भर नहीं आती।


लेखन तिथि : अप्रैल, 2021
अरकान: फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 212 1222 212 1222
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें