देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

किताबें (कविता)

इन किताबों की शख़्सियत,
तो देख लो जनाब।

बस ख़ामोशियाँ वजूद में,
पर ज़ेहन में है इंक़लाब।

ना बोलकर भी बोल देतीं,
हर सवालों के जवाब।

क्या सही है क्या ग़लत है,
दामन में हैं सारे हिसाब।

ये सिखाती हैं बहुत कुछ,
पुन्य क्या है क्या अज़ाब।

ज्ञान की गंगा इन्ही में,
सबक़ भी हैं बेहिसाब।

इश्क़ कर लो यार इनसे,
फिर बनोगे कामयाब।

इन किताबों की शख़्सियत,
तो देख लो जनाब।

बस ख़ामोशियाँ वजूद में,
पर ज़ेहन में है इंक़लाब।

इनकी शोहबत से मिलेगा,
नूर जैसे आफ़ताब।

दोस्त इनको तुम बनालो,
हो न पाओगे ख़राब।


लेखन तिथि : 5 अप्रैल, 2019
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें