देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

कुल की शान (कविता)

जिन उँगलियों को पकड़कर पिता ने चलना सिखाया,
उसी वक़्त वह अनकहे ही कह देता है–
“जीवन के हर क्षण में तुम्हें प्यार करेंगे”
पर प्रकट भाव में पुत्र को कभी कह नहीं पाता।
सबसे कहता मेरा बेटा राजदुलारा,
मुझे जान से प्यारा।
मेरा बेटा मेरा अभिमान,
यह है कुल की शान।
विद्यालय/महाविद्यालय के दरवाज़े से निकल,
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते पुत्र पहुँचता है
जीवन के उस पड़ाव पे,
जहाँ से नई दुनियादारी, ज़िम्मेदारी आरंभ होती है,
तब पुत्र द्वारा अनुकूल निर्णय नहीं लेने पर
पिता झुँझलाता है।
यह जानते हुए भी कि उसके व्यवहार पर
पुत्र को बहुत दुख होगा,
पर वह क्या करे?
असफलताओं की कहानी
उसकी नज़रों के सामने आने लगती है,
और अनजाने भय से घबराने लगता है,
पुत्र की नज़रों में
पिता अड़ियल होता है।
पर सच्चाई है कि
वह नारियल की तरह होता है।
जीवन के हर क्षण में,
वह मिठास भरना चाहता है।
क्योंकि पुत्र है पिता का अभिमान,
वह है कुल की शान।


लेखन तिथि : 15 नवम्बर, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें