देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

क्यों लोग प्रेम के ही गीत लिखने लगे हैं (कविता)

क्यों लोग प्रेम के ही गीत लिखने लगे हैं,
आइने के सामने सजने सँवरने लगे हैं।

क्यों नहीं दिखती उन्हें किसी की पीड़ा,
दीन लाशों पर काँटे वो विछाने लगे हैं।

वेदना की करूण चित्कार अनसुनाकर,
बडे़ ठाठ से वो अपने जश्न मनाने लगे हैं।

हिंसा ख़ून-खराबा जगह-जगह दिखती,
क्यों लोग मासूमों की क़ब्र बनाने लगे हैं।

हवा ख़ुशबू चमन की अब क़ैद होने लगी,
शबनमी बयार को लोग अब जलाने लगे हैं।

दर-ओ-दीवार भी नफ़रतों से पहले हुए हैं,
क्यों लोग अपनों से अब कतराने लगे हैं।


रचनाकार : कमला वेदी
लेखन तिथि : 27 अक्टूबर, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें