साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
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कटनी, मध्य प्रदेश | 1966
पुष्पों का ऋतु से अभिसार हो रहा। आज कई रंगों मे खिले कचनार। है ढाक मधुऋतु में लुटा रहा प्यार।। बगीचा- फूल का बाज़ार हो रहा। मौसम में रंग उड़ेल रहे टेसू। श्वेत-श्वेत दिखते सेमल के गेसू।। अनोखे- नशे में मंदार हो रहा।
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