मधुऋतु में लुटा रहा प्यार (नवगीत)

पुष्पों का
ऋतु से
अभिसार हो रहा।

आज कई
रंगों मे
खिले कचनार।
है ढाक
मधुऋतु में
लुटा रहा प्यार।।

बगीचा-
फूल का
बाज़ार हो रहा।

मौसम में
रंग उड़ेल
रहे टेसू।
श्वेत-श्वेत
दिखते सेमल
के गेसू।।

अनोखे-
नशे में
मंदार हो रहा।


लेखन तिथि : 2020
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