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महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती (कविता)

ये भी उन्नीसवीं शताब्दी के समाजिक सुधारक,
महान देश-भक्त व आर्य समाज के संस्थापक।
बचपन का नाम माता-पिता ने रखा मूलशंकर,
देशप्रेम राष्ट्रीयता भावना भरा था कूट-कूटकर।।

१२ फ़रवरी, १८२४ को जन्में राजकोट गुजरात,
इनके पिता लालजी तिवारी माता यशोदा बाई।
वेद-शास्त्र व‌ धार्मिक पुस्तकें इन्होंने बहुत पढ़ी
धर्म सुधारकर आर्य समाज स्थापना की मुंबई।

गोरों के ख़िलाफ़ चलाएँ इन्होंने कई अभियान,
बड़ी श्रृद्धा से लिया जाता स्वामी ‌जी का नाम।
भारत भारतीयों का है' इसी साहसी के थे वार,
स्वयं के प्रवचनों से किया राष्ट्रीयता का प्रचार।।

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती नाम था इनका,
वेदों को सत्य बताकर इन्होंने सिद्ध किया था।
तमाम कुरीतियों के ख़िलाफ़ आन्दोलन किया,
भगवान शिव शंकर में रखतें थे गहरी आस्था।

धार्मिक महापुरुष के रुप में जानता सारा देश,
आज़ादी दिलाने में भूमिका निभाई ये स्वदेश।
स्त्री-शिक्षा व दलित उद्धार की आवाज़ उठाई,
कहा ये हिंदी भाषा बोली जाएँ पूरे भारत देश।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 19 दिसम्बर, 2021
            

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