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मैं भारतीय हूँ (कविता)

हाँ मैं भारतीय हूँ
भारत की मिट्टी में जन्मा
पला बढ़ा जवान हुआ,
भारत की मिट्टी हमें सुहाती है
धर्म संस्कृति सभ्यता हमें लुभाती है।
भिन्न-भिन्न प्रदेश यहाँ है
बहुत विविध त्योहार यहाँ हैं
विभिन्न भाषाएँ बोलियाँ हैं,
खान-पान मेंं भी फ़र्क़ ज़रूर है
फिर भी सब के स्वर एक हैं,
मैं भारतीय हूँ गर्व बहुत है।
धर्मनिरपेक्ष स्वरूप हमारा,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सबको है ये जान से प्यारा,
इसकी मिट्टी की ख़ुशबू से
महकता है जहान सारा।
तिरंगा हमारी शान है
राष्ट्र गान पहचान है,
रंग रूप जाति भाषा
कभी नहीं आड़े आती,
एक सूत्र में बंधकर रहते
ये पहचान हमारी थाती।
हम सब भारतीय हैं
भारत ही हमारी जान है,
हम सब भारतवासी हैं
ये हमारा स्वाभिमान है,
मैं भारतीय हूँ इसका गर्व है
अपने भारत के साथ-साथ
भारतीय होने का मुझे ही नहीं
हर भारतीय को बहुत-बहुत घमंड है।


लेखन तिथि : 4 फ़रवरी, 2022
            

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