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मैंने देखा एक ज़माना (गीतिका)

मैंने देखा एक ज़माना,
पड़ा सिरफिरों को समझाना।

गौरैया आँगन में केवल,
ढूँढ़ रही अनाज का दाना।

एक शख़्स को देख रहा हूँ,
लगता है जाना पहचाना।

ऐसा अद्भुत काम करेंगे,
गागर में सागर भर जाना।

बहलाना-फुसलाना गर हो,
उसकी बातों में मत आना।

पगलाई सी भीड़ चली है,
अपना वजूद हुआ बचाना।


लेखन तिथि : 28 अक्टूबर, 2021
आधार छंद : चौपाई
            

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