सूरज ने
धूप से कहा
मौसम रंगीन
हो गया।
अब चलने लगी हैं
चुलबुली हवाएँ।
आपस में पेड़
जाने क्या बतियाएँ।।
मधुप जो है
फूल पर झुका
जुर्म संगीन
हो गया।
रोज़-रोज़ होती
पुनर्नवा भोर है।
झलका सन्नाटे में
कोई शोर है।।
ऋतुओं का आलम
है कि पतझर
दीन-हीन
हो गया।
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