मेरा गाँव है पावन धाम।
बार-बार मैं करूँ प्रणाम।।
पेड़-पौधों से घिरा हुआ है,
धन-धान्य से भरा हुआ है,
सुख-सुविधा यहाँ तमाम।
बार-बार में करूँ प्रणाम।।
कुछ कच्चे कुछ पक्के मकान,
बसते हैं यहाँ सादे इंसान,
सुख-दुख में सब आते काम।
बार-बार में करूँ प्रणाम।।
साफ़-सुथरी चौड़ी गलियाँ,
मिलती हैं ऐसी थोड़ी गलियाँ,
साफ़-सफ़ाई का पूरा इंतज़ाम।
बार-बार में करूँ प्रणाम।।
कलाकारों का जन्म दाता है,
सबके दिल को ये भाता है,
दुनिया में है इसका नाम।
बार-बार में करूँ प्रणाम।।
समुन्द्र सिंह को लगे ये प्यारा,
यहीं पर देना जन्म दोबारा,
इतनी कृपा करना राम।
बार-बार में करूँ प्रणाम।।
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