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मेरा परिचय (कविता)

वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी,
दिवस कैलेंडर शुक्रवार।
मध्यरात्रि में हुआ अवतरित,
हर्षित हुआ पूरा परिवार।।

सवा मन लडडू की मन्नत,
तात गजानन को चढ़वाए।
गंगा मैया आऊँगी पुत्र संग,
वचन माँ भामा ने निभाए।।

भाई बहनों का मैं प्यारा,
ख़ुशी भरा परिवार हमारा।
सब में स्नेह है, सब में प्यार,
बहती सबमें प्यार की धार।।

हम में अनमोल मधुर रिश्ते,
छोटे बड़ों को करें नमस्ते।
साथ में रहके करते मस्ती।
हम सब बड़े प्यार से रहते।।

पापा हैं परिवार के मुखिया,
बड़ी बहन का नाम प्रिया।
प्रियंका आकाश संग मेरी,
है हरदासीपुर में कुटिया।।

पुष्कर तटपर सदन हमारा,
नाम उसका रामेश्वर धाम।
मम्मी मेरी सिया माँ जैसी,
ऐसा हैं प्यारा कुटुम्ब ग्राम।।

दादी को था अति प्रिय,
उनका मैं लाडला बेटा।
पापा के नेतागिरि पर,
क़स्बे वाले कहते मुझे नेता।।

बड़ी बुआ से प्यारा नाता,
सब बातें मैं उन्हें बताता।
करके मुझको शिक्षा दान,
बनी वो मेरी भाग्य विधाता।।

काशी में ननिहाल हमारा,
नाना-नानी का राजदुलारा।
शिक्षण हेतु सुविधा देकर
विषम दशा में बने सहारा।।

ईष्ट मित्र संग कुछ परिचित,
यहाँ तक आने में मदद किए।
करूँ मैं सभी का वंदन।
जो शिक्षा अरु रोटी प्रबंध किए।।

मड़ैया व शिशु मंदिर बाद,
कर्रा बना विद्या का आलय।
प्रसाद से डिप्लोमा करके,
सीमेंट फैक्ट्री में मेरा कार्यालय।।

पेशे से अभियन्ता हूँ मैं,
सीमेंट कम्पनी में करता काम।
जौनपुर ज़िला डोभी में
हरदासीपुर है मेरा ग्राम।।

शौक़ है पढ़ने लिखने का,
कविताएँ भी लिखता हूँ।
कुछ कहानियाँ लेख लिखा,
छंदबद्ध अब सिखता हूँ।।

कवि नहीं इक साधक हूँ,
साहित्य साधना करता हूँ।
माँ शारदा की रहे कृपा,
उनकी आराधना करता हूँ।।

श्रेष्ठजनों का मिले प्रसाद,
समाज सेवा में ध्यान रहे।
ऐसी कृपा करो भगवन,
जग में अपना मान रहे।।


रचनाकार : अंकुर सिंह
लेखन तिथि : 28 जुलाई, 2021
            

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