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मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ (कविता)

पहली बार जब पलकें खोली,
देखा मैंने तू हँस कर बोली,
मेरे गालों को चूम-चूम कर,
ममता मुझ पर लुटाई है।

तेरे आँचल में पला बढ़ा,
उँगली पकड़ कर तेरी चला,
तेरी बगिया में महका हूँ,
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।

बातों-बातों में चाँद दिखा,
भर-भर गिलास मुझे दूध पिला,
अपने हिस्से का भी तू मुझको,
निवाला मुँह में खिलाई है।

रोटी की गिनती भूल-भूल कर,
तेरे काँधे पर झूल-झूल कर,
ख़ुशी-ख़ुशी मैं चहका हूँ,
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।

मीठी लोरी मुझे सुना,
निंदिया रानी को देती बुला,
प्यारी थपकी देकर तूने,
गोद में मुझे सुलाई है।

लंबी कहानी चुन-चुन कर,
परियों की कहानी सुन सुनकर,
राजकुमार बन बैठा हूँ,
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।

नेकी की राह दिखाई है,
मुझे अच्छी बातें सिखाई है,
बातों-बातों में खेल-खेल में,
दुनियादारी समझाई है।

तेरे पीछे छुप-छुप कर,
तेरी आँखें मूँद-मूँद कर,
आँख मिचौली खेला हूँ,
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।
मुझे गर्व है माँ तेरा बेटा हूँ।


रचनाकार : आशीष कुमार
लेखन तिथि : 28 मई, 2022
            

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