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मुझे सब याद है (कविता)

मुझे सब याद है!
तपती ज़िन्दगी की उदास दोपहर में;
तुम गुलाब की सुगंध की तरह;
मेरी हृदय में समाई थी।
अपने अलकों को बिखराई थी;
कुछ सुगंधित हवा बह रही थी;
बंकिम नयनों से तुम,
मुझे अपने पास बुलाई थी।
वो मंज़र अब तक आँखों में आबाद है।
मुझे सब याद है!
पूनम सा चमकता चेहरा,
वो महकती साँस थी तेरी।
मन दर्पण में ऐसे बसी,
मानो जीवन आस थी मेरी।
पर जरा सी भूल क्या हुई!
तूने मुझे छोड़ ही दिया।
याद करके भी वो प्यारे पल,
तूने सारे रिश्ते तोड़ दिया।
पर ऐसा कोई क्षण नहीं,
जिस पल तुम याद न हो।
रात क्या हर दिवास्वप्न में भी,
तुझसे कोई बात न हो।
मेरा क्या?
तेरे भी अश्कों का एक-एक क़तरा,
लगता, दिल के साथ है।
मुझे सब याद है!
आज भी बिसरी तेरी बातें,
पल-पल हृदय में सालती है।
तुझे कभी न जान सका,
यही अब पीड़ा पालती है
बिन तेरे जी न सकूँगा;
फटा कलेजा सी न सकूँगा;
तू जो मेरे साथ है तो,
मुझको बोलो, क्या कमी?
साथ ही रहना मेरे साथी
भूल न जाना मुझे कभी
"पथिक" तेरे प्रेम में ही
हृदय-कुँज आबाद है।
मुझे सब याद है!!!


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : 17 जनवरी, 2021
            

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