नमन तुझे माँ शारदे...
हिमाद्रि तुंग के शिखर,
है चंचला दमक रही।
वो शुभ्र रश्मियों से ही,
है रज चरण चमक रही।
हैं चहुँ दिशाएँ कह रहीं,
तू रज चरण से तार दे।
हे! वीणापाणि, ज्ञानदा,
नमन तुझे माँ शारदे।
तू श्वेत पद्मासना,
तू ही है ज्ञानदायिनी।
तू श्वेत रूपिणी यहाँ,
तू ही है हंसवाहिनी।
तू ज्ञान ज्योति को जला,
तिमिर को पल में हार दे।
हे! वीणापाणि, ज्ञानदा,
नमन तुझे माँ शारदे।
तू वाग्देवी वाणी है,
तू ही है वीणासाजिनी।
प्रणत नमन तुझे ही है,
तू है कमलविराजिनी।
नवल सृजन की शक्ति दे,
कलम मेरी सँवार दे।
हे! वीणापाणि ज्ञानदा,
नमन तुझे माँ शारदे।
हैं शब्द पुष्प थाल में
है रागिनी का गीत संग।
मलय पवन बुला रही,
तू ज्योत बन के भर उमंग।
हूँ कर रहा माँ आरती,
तू अपना मुझको प्यार दे।
हे! वीणापाणि, ज्ञानदा,
नमन तुझे माँ शारदे।
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