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नारी एक ज्वाला (कविता)

ममता की मूर्ति नारी
सृष्टि क्रम को गतिमान रखती नारी
ममता, दया करुणा की प्रतिमूर्ति
त्याग की देवी नारी,
स्व को भूल प्रेम रस बरसाती
दो कुंदों का मान बढ़ाती
हर पल अपने सपनों की आहुति देकर भी
नहीं पछताती, रिश्तों को बाँधकर
रखने का हर जतन करती
बहन शक्ति की मिसाल नारी।
मगर जब उसे और उसकी गरिमा को
चोट पहुँचाने की कोशिश होती है तब
ज्वाला बन जाती है नारी
मुँहतोड़ जवाब देने के लिए
कमर कसकर मज़बूती से
अपनी मज़बूती से अपनी ताक़त का
अहसास कराती है नारी
वह समय अब नहीं रहा
जब नारी सिर्फ़ कोमल
और कमज़ोर मानी जाती थी,
आज की नारी एक ज्वाला बन चुकी है,
हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है।


लेखन तिथि : 7 मार्च, 2022
            

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