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नव वर्ष की पहली किरण (कविता)

हिमगिरी का मस्तक सजेगा, निकलेगी नव वर्ष की पहली किरण,
सुबह की किरण गिरकर धरा पर, छू लेगी माँ भारती के चरण।
मिटेगा जब अँधियारा घनघोर, अँगड़ाई लेगी फिर एक नई भोर,
श्वेत धवल हिमालय को निरख, मन हो जाएगा बड़ा भाव विभोर।

नव जन्म होगा मानवता का इस रोज़, लेकर ज्योति का सन्देश,
नवचेतना की अलख जगाने, होगा नववर्ष का जीवन में प्रवेश।
मन का अँधियारा मिटेगा इस दिन, खिलेगी संस्कारों की नव चेतना,
राम नवमी के इस पावन दिन, प्रभु श्रीराम की होंगी आराधना।

धर्म की होंगी फिर से बौछार, दुष्टों का होगा धरा से संहार,
कलयुग की हो गयी पराकाष्ठा, अब तो श्रीराम लेंगे अवतार।
माँ शबरी की कुटिया में होगा, श्रीराम का पुनः आगमन,
साथ होंगे प्रभु श्रीराम के, माता सीता और भाई लक्ष्मण।

राम जन्म का पावन पर्व होगा, विश्व मनाएगा राम नवमी,
सनातम धर्म का फहराएगा परचम, विनष्ट होगा हर अधर्मी।
संस्कारों की फिर बहेगी सरिता, धरती होंगी फिर पुनीत पावन,
बढ़ेगी धरा पर धर्मनिष्ठा, वेद ध्वनियों का होगा उद्भावन।

देवी अहिल्या करेगी दीप प्रज्वलित, करेगी प्रभु श्रीराम का वंदन,
प्रभु श्रीराम के जन्मदिन पर, धरा में होगा फिर पवित्र स्पंदन।
धुप, दीप, नैवेद्य जलाकर, करें श्रीराम का ह्रदय से स्वागतम,
तन मन से हो कर लीन, करें राम भक्ति का अंतर्मन से आचमन।


लेखन तिथि : 26 मार्च, 2022
            

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