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नव वर्ष किरण (कविता)

नव नूतन आशा रश्मि बिखरी दिशि चहुँओर,
क्षितिज से आई सलज्ज मनभावन सी भोर।

प्रफुल्ल उल्लिसित होकर तन मन महक उठा,
नई रोशनी का स्वागत मन मयूर मचल उठा,
आसमान से बदली आई घड़ घड़ करती शोर।
क्षितिज...

नव आगत के स्वागत में सूरज ने ली अँगड़ाई,
अलसाई अलसाई सी धूप कण-कण में बिखराई,
मौसम ने फेर लिया मन बन गया धूप का चोर।
क्षितिज...


लेखन तिथि : 1 जनवरी, 2021
            

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