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नवरात्रि का संदेश (कविता)

माँ दुर्गा हर वर्ष इस पावन भुमि पर‌ आती है,
आते ही अपनी सवारी से कुछ संकेत ‌दे जाती है।
नवरात्रि के हर्षोल्लास में अपने नौ रूपों से सबको,
सुखद जीवन जीने के लिए कई संदेश दे जाती है।।

शैलपुत्री रुप में अपना पहला पूजन शुरू करवा कर,
मॉं पार्वती अपना सरल रूप से अवगत हमें करवाती है।
बाएँ हाथ में ‌कमल लिए और दाहिने हाथ में त्रिशूल,
शांति, ज्ञान से लेकर अपनी शक्ति का बोध करवाती है।।

ब्रह्मचारिणी रूप में माता की पूजा दूसरे दिन की जाती है,
जिसमें घनघोर तपस्या से हर सम्भव की बात बताती है।
माँ हाथों में कमण्डल और माला धारण ‌कर संदेश देती है,
सरल बन कठिन मेहनत से बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।।

चंद्रघंटा के रूप में माँ का तीसरे दिन पूजा की जाती है,
अपनी संहारी रूप से पापियों की नाश की बात बताती है।
अपने दसों हाथ में अस्त्र-शस्त्र लिए सिंह पर चढ़‌ कहती है,
अपनी हर‌ शक्ति को जागृत रखो तभी शान्ति रह पाती है।।

माँ कूष्मांडा अपनी यह रूप की पूजा चतुर्थ दिन करवाती है,
इस रूप से ब्रह्मांड को उत्पन्न की इसलिए जननी भी होती है।
अपने आठवें हाथ में सिद्धियों और निधियों वाली जपमाला से,
जपयोग कर मनुष्यों में आन्तरिक महाशक्ति प्रदान करती है।।

स्कंदमाता का ‌रूप माता नवरात्रि में पाँचवें दिन दिखाती है,
जिसमें कार्तीकेय की बन माता ममता का रूप दिखाती है।
अपने दोनों हाथों में कमल का फूल लिए दुनिया को बताती है,
नारी ममत्व से भी दुनिया को बुराईयों से मुक्ति दिलाती है।।

माँ के कात्यायनी रूप का दर्शन हमें छठवें दिन हो पाता है,
कात्यायन ऋषि का तप ओर साधना इस रूप की गाथा है।
माँ इस रूप में शोध ओर परा विद्या की देवी कहलाती है,
इनकी उपासना से हमें आत्मज्ञान और मुक्ति मिल जाती है।।

माँ का कालरात्रि का भंयकर रूप सातवें दिन ही दिख पाता है,
इसी रूप से राक्षसों, शुम्भ-निशुंभ और रक्तबीज को मारी ‌थी।
हाथ में खड़ग और नरमुण्ड धारण कर आज भी संदेश देती है,
राक्षसों का नाश के लिए नारी हर रूप में अवतरित होती है।।

माँ महागौरी का यह प्यारा रूप आठवाँ दिन ही दिखाता है,
माँ को पुनः प्राप्त गौर वर्ण शिव के प्रेम का प्रतीक होता ‌है।
महागौरी का यह मोहक रूप जीवन में एक पाठ पढ़ाती है,
कर्म को तप जैसा करो तब सुखद फल अपने आप प्राप्त ‌है।।

सिद्धिदात्री रुप में माँ नौवें दिन पूर्ण स्वरूप में प्रकट होती है,
इस रूप की कृपा से भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर बन पाए थे।
कमल पुष्प पर विराजे और शंख, चक्र, गद्दा, पद्म लिए सबको,
सारी सिद्धियों और मनोकामना की प्राप्ति का वरदान देती है।।


लेखन तिथि : 12 अक्टूबर, 2021
            

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