देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

नवरात्रि पर्व (कविता) Editior's Choice

नवरात्रि हिंदूओं का प्रमुख त्यौहार,
उमंग व उत्साह से मनाता संसार।
शक्तिदात्री माँ दुर्गा की करते पूजा,
घर-घर सजता माँ दुर्गा का दरबार।

प्रथम दिवस शैलपुत्री पूजन विधान,
गिरिराज हिमालय की प्रिय संतान।
पर्वतों व जंगलों में रक्षा करती माता,
वन्यजीवों तपस्वी साधकों के प्राण।

दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की हो अर्चना,
शास्त्र निगमागम तंत्र मंत्र की सर्जना।
सर्वज्ञ संपन्न विद्या से भक्त हो विजयी,
अति सौम्य कोमल हृदय देवी उज्जना।

तीसरे दिन चन्द्रघण्टा की कृपा बरसे,
शांतिप्रदायनी कल्याणकारी माँ हरषे।
मस्तक में अर्ध चंद्र रूपी घंटा शोभित,
भक्त सुख समृद्धि को कभी न तरसे।

चौथे दिन पूजीं जाएँ कुष्मांडा माता,
प्राण शक्ति व बुद्धिमत्ता की प्रदाता।
कांतिमयी अष्टभुजी देवी के वंदन से,
भक्त सर्वसिद्धि व सर्वनिधि वर पाता।

पाँचवें दिन पूजें स्कंदमाता रूप की,
कल्याणी अधिष्ठात्री देवी स्वरूप की।
विद्यावाहिनी दुर्गा ज्ञान समाहित कर,
भक्त गाएँ महिमा दिव्यता अनूप की।

छठे दिन पूजे जन देवी माँ कात्यायनी,
ऋषि कात्यायन पुत्री महिषासुर मर्दिनी।
मनुष्य के दुवृत्तियों का नाश करती माँ,
माँ अम्बे धर्म अर्थ काम व मोक्षदायिनी।

सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना,
भय मुक्त हो जाते भक्त कर आराधना।
काल के ऊपर प्रतिष्ठित माता दे शक्ति,
राक्षसी प्रवृतियों का करने को सामना।

आठवें दिन माता गौरी की हो अर्चना,
सुख सम्पन्नता हेतु लोग करते प्रार्थना।
माँ दुर्गा भटकों को सन्मार्ग पर लाती,
अक्षयपुण्य सिद्धि दिलाती अभ्यर्थना।

नौवें दिन पूजीं जाएँ सिद्धिदात्री माता,
शुद्ध अंतःकरण से ध्यान मोक्ष दिलाता।
शास्त्रीय विधि विधान से आराधना कर,
भक्त सहज ही समस्त सिद्धियाँ पाता।

नवरात्रि में कन्या पूजन का है विधान,
कन्या को देते भोजन दक्षिणा परिधान।
उसको माँ दुर्गा का भौतिक रूप मानते,
माँ आदिशक्ति करती भक्तों का कल्याण।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : अक्टूबर, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें