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नया साल दे रहा अनुभूतियाँ नई-नई (कविता)

नया साल दे रहा अनुभूतियाँ नई-नई।
आओ गढे़ं जग जीतने की नीतियाँ नई-नई।
जो दबाए ख़्वाब उसे सरेआम कीजिए,
मौन पड़े प्रेम को नया नाम दीजिए।
द्वेष दंस भूल-चुक मन से साफ़ कीजिए।
प्रियजनों के ग़लतियों को खुलके माफ़ कीजिए।
दर्द वाला पल सफल तरीक़े से बदल गया।।
मनुष्यता का ग्रंथ आग में भी जल संभल गया।
प्रकृति ने बीता साल क्रूरता से ले गई।
पर मानिए मनुष्यता को नया सीख दे गई।
हर जीव का सम्मान हो उच्च स्वाभिमान हो।
नए साल में सभी को ऐसा नया ज्ञान हो।
हर युवा की शक्ति को खुलकर अधिकार दे।
हौसले के तुंग चड़ वो चाँद भी उतार दे।
चित्त पड़ी चेतना फिर से दहाड़ दे।
सामने पहाड़ हो तो नाखूनों से फाड़ दे।
क्लेश अब ना शेष हो एक नया परिवेश हो।
इस मही का मेरे प्रभु शुद्धता सा वेश हो।
पूरा मुल्क साथ देकर आफ़ताब कीजिए।
प्रियजनों के ग़लतियों को खुलके माफ़ कीजिए।


रचनाकार : अभिषेक अजनबी
लेखन तिथि : 26 दिसम्बर, 2021
            

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