देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

परिस्थितियाँ (कविता) Editior's Choice

जीवन है तो
परिस्थितियों से दो चार होना ही पड़ता है,
अनुकूल हो या प्रतिकूल
हमें सहना ही पड़ता है।
बहुत ख़ुश होकर भी
अनुकूल परिस्थितियाँ भी
सदा बग़लगीर नहीं रहेंगी,
प्रतिकूल परिस्थितियाँ में सदा
डेरा जमा कर नहीं बैठी रहेंगी।
इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी
धैर्य बनाए रखिए,
लड़िए और हौसला रख सामना कीजिए,
सच मानिए! आपका हौसला ही
विपरीत परिस्थितियों से निजात दिलाएगा
कितनी भी हों कठिन परिस्थितियाँ
आख़िर दूर चली ही जाएँगी।
बस! आप परिस्थितियों के गुलाम न बन जाइए
विपरीत परिस्थितियों का हँसकर स्वागत कीजिए।
समय का चक्र जब ठहरता नहीं है
तब एक जैसी स्थितियों का भला
डेरा कहाँ डाला जा सकता है।
विपरीत परिस्थितियाँ भी हमें
कुछ सीख दे जाती हैं,
विपरीत परिस्थितियाँ ही
अनुकूल परिस्थितियों का
संकेत दे ही जाती हैं।


लेखन तिथि : 2 मई, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें