देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

रैदास हमारौ राम जी (दोहा छंद) Editior's Choice

रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं।
राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं।।


रचनाकार : रैदास
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें