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राखी भेजवा देना (कविता)

बहन राखी भेजवा देना,
अबकी ना मैं आ पाऊँगा।
काम बहुत हैं ऑफिस में,
मैं छुट्टी ना ले पाऊँगा।।

कलाई सुनी ना रहें मेरी,
ये बहना याद रख लेना।
मैहर सतना के पते पर,
राखी तुम भेजवा देना।।

करोना काल संकट भारी,
मिलने तुम ना आ जाना।
गर पूछे भाँजी भाँजा तो,
मामा का प्यार कह देना।।

राखी पर ना मेरे आने से,
तुम मुझसे ना रूठ जाना।
हाथ जोड़ कर रहा निवेदन,
राखी ज़रूर भेजवा देना।

भेज रहा राखी उपहार संग,
चिट्ठी में प्यार के दो बोल।
माफ़ करना अपने भाई को,
मना न सका पर्व अनमोल।।

राह देख ना अबकी मेरी,
राखी थाली सजा ना लेना।
क्‍वारंटाइन का बड़ा झंझट,
भेज राखी फ़र्ज़ निभा लेना।


रचनाकार : अंकुर सिंह
लेखन तिथि : 1 अगस्त, 2021
            

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