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रक्षा बंधन (दोहा छंद)

रक्षाबंधन पर्व की, एक अलग है बात।
लाए यह परिवार में, ख़ुशियों की सौग़ात॥

पावन जग में पर्व यह, ख़ुशियाँ लाए द्वार।
रक्षाबंधन प्यार का, सच्चा है त्योहार॥

कर्म बड़े जिसने किए, बड़ा मिले उपहार।
भाग्यवान है वह जिसे, मिले बहिन का प्यार॥

थोड़ी नटखट और है, थोड़ी सी शैतान।
बहिन लाडली गेह की, उसमें बसती जान॥

लाखों में वह एक है, रखे सभी का ध्यान।
भ्राता का आदर करे, छोटों का सम्मान॥

रहे बहिन ख़ुशहाल तू, तेरा घर संसार।
बनी रहे मुस्कान यह, करता दुआ हज़ार॥

राखी रोली थाल में, चंदन और चिराग़।
मोदक मिसरी साथ है, प्रीत प्रेम अनुराग॥

रक्षाबंधन का दिवा, राखी है तैयार।
भाई की मणिबंध पर, बाँधे अपना प्यार॥

तेरी राखी का बहिन, सदा रखूँ मैं लाज।
बंधन रहे अटूट यह, वचन भरूँ मैं आज॥

तेरे सब संकट हरूँ, बन मैं तारणहार।
सदा निभाऊँगा वचन, सब कुछ तुझ पर वार॥


लेखन तिथि : 22 अगस्त, 2021 से 11 अगस्त, 2022
            

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