देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

राम फिर आ जाओ (कविता)

हे राम!
एक बार फिर आ जाओ,
अब और न इंतज़ार करवाओ।
धरा पर पापियों का आतंक बढ़ रहा है,
हर ओर काला नाग
फन फैलाए खड़ा है।
बहन बेटियों में डर समाया है,
ईमानदार का जीना दूभर हुआ है।
मेहनतकश बेबस हो रहा है,
लुच्चे लफ़ंगे बेईमान मज़े कर रहे हैं,
सरेआम छीनकर खा रहे हैं।
नीति पर चलने वाला धक्के खा रहा है,
अनीति की राह पकड़ा जिसनें
धन धान्य से घर भर रहा है।
कब तक मूकदर्शक बने
देखते, आँखें फेरते रहोगे,
कहाँ तो रामराज्य के सपने दिखाते हो
बिखर रहा है जब वो सपना
तो फिर क्यों नहीं आते हो?
आखिर सामने आने से
क्यों कतराते हो?
तुम्हारी आड़ में
क्या कुछ नहीं हो रहा है?
तुम्हारा ही नाम तो
आख़िर बदनाम हो रहा है।
हे राम! ऐसा कब तक चलेगा?
आख़िर कब तक
हमारा विश्वास टिकेगा?
बस अब देर न करो
ऐसा न हो हमारा विश्वास बिखर जाए
तुम्हारे नाम पर बट्टा लग जाए।
हे राम! अब मान भी जाओ,
अब तो आने का मन बनाओ।
विलंब करने से अच्छा है,
आना ही है तो अभी आ जाओ।
हे राम! एक बार फिर आ जाओ।
हे राम! अब आ ही जाओ।


लेखन तिथि : 17 अक्टूबर, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें