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राम युगों युगों में आते है (कविता)

राम युगों युगों में आते है
मर्यादा की बन परिभाषा
आदर्शो की बन पराकाष्ठा
राम युगो युगो में आते है।
पिता के वचन निभाने
कैकयी के स्वपन्न सजाने
मन्थरा के विष उगलाने
राम युगो युगो में आते है।
भ्राता को स्नेह लुटाने
राज धर्म का पाठ पढ़ाने
गुरु वर की लाज बचाने
राम युगो युगो में आते है।
शक्ति बुद्धि की मर्यादा से
परशुराम का दर्प भगाते है
केवट के भाग्य जगाते है
जगत जननी माता को
वन वन राह दिखाते है
राम युगो युगो में आते है।
क्रोधित लक्ष्मण पर स्नेह लुटाते है
अनुज पर मन ही मन मुस्काते है
रावण जब ले भागा माता को
अपना क्रोध दिखाते है
राम युगों युगों में आते है।
वानर मानव की सेना से
लंका पर सेतु बनाते है
पवन पुत्र को संकट की याद दिलाते है
संकट मोचन के उर में बस जाते है
राम युगों युगों में आते है।
वध दशानन का कर
मर्यादा उल्लंघन का सबक़ सिखाते हैं
शत्रु को मित्र बनाने
विभिषण को गले लगाते है
राम युगों युगों में आते है।
बन पुरुषोत्तम जन-जन के
जन-जन के घट में छप जाते है
मर्यादा की बन परिभाषा
आदर्शो की बन पराकाष्ठा
राम युगों युगों में आते है।


लेखन तिथि : 30 जनवरी, 2022
            

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