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रामनवमी (कविता)

आज ही जन्में राम अवध में
चैत्र मास नवमी तिथि शुक्ल पक्ष में,
विष्णु अवतारी राम बसे कण-कण में।
मानव रूप में जन्मे मगर काम बड़ा किया
असुरों राक्षसों का काम तमाम किया
मर्यादा में जीते रहे तमाम उम्र भर
मर्यादा पुरुषोत्तम राम इसलिए नाम उन्हें मिला।
ये भी ग़ज़ब संयोग देखिए
नवरात्रि की नवमी भी है आज,
आदिशक्ति और राम जी का अद्भुत बना संयोग।
आदिशक्ति और राम जी की पूजा करते हैं हम
वरदान पाने के लिए शीश झुकाते हैं हम।
राम के अयोध्याधाम की होती छटा निराली
ख़ुशियों से नाचते गाते हैं सारे नर नारी,
लेते हैं सीख राम से आदर्श उन्हें मानते
मर्यादा का पालन कर सके
प्रभु से हम सभी कृपा इतनी माँगते।
पितृ आज्ञा मान मिसाल बने राम जी
मानव रूप में जन्मे अवतारी हुए राम जी
सदियों से उनके चर्चे आम हैं सारे जहान में
सदियों, युगों तक हमारे दिलों में
बसे ही रहेंगे मर्यादा की मूरत राम जी।
उनकी पूजा से हमारा जीवन सफल होता रहेगा
राम जी के चरणों में हमारा
शीश सदा झुकता रहेगा।
अखिल ब्रह्मांड सदा ही राम नाम जपता रहेगा
राम नाम का नाद यूँ ही पुलकित करता रहेगा।
जय श्री राम, जय श्री राम
सीताराम जय सीताराम
जपते रहेंगे दिन और रात,
चिंता नहीं है हमको कोई
जब राम सँवारते बिगड़े काम,
बस प्रेम से बोलो जय श्री राम, जय श्री राम।


लेखन तिथि : 7 अप्रैल, 2022
            

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