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राष्ट्र की उपासना ही, अश्वमेधिक लक्ष्य हैं (गीत) Editior's Choice

राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है।
पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है॥

अश्व है प्रतीक साहस, शौर्य और पुरुषार्थ का।
कर्मयज्ञ ही श्रेष्ठतम है, कार्य यह परमार्थ का॥
यज्ञ से हो राष्ट्र जाग्रत, वेद वैदिक साक्ष्य है।
राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है॥
पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है।

मेध मतलब बलि नहीं है, जागरण है मेध का।
प्रेम शांति सुख सभी का, सूत्र है शुभ वेद का॥
शक्ति मेधा को जगाना, यजन का उद्देश्य है।
राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है॥
पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है।

आश्वमेधिक यज्ञ देता, अलौकिक अनुदान है।
पापनाशक, पुण्यवर्धक, राष्ट्र का कल्याण है॥
प्रेम भक्ति भावना से, राष्ट्र ही आराध्य है।
राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है॥
पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है।


रचनाकार : उमेश यादव
लेखन तिथि : 2024
            

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