माघ पूर्णिमासी का बना दिन ख़ास,
माँ कलसा पिता थे श्री संतोख दास।
काशी नगर में चँहु ओर दिव्य प्रकाश,
माँ कलसा के घर जन्मे संत रविदास।
सदा संत स्वभाव तथा उत्कृष्ट विचार,
जन्म से भले ही कुल मिला चर्मकार।
ऊँच नीच के भेद को उन्होंने मिटाकर,
स्वभाव में रखा विनम्रता व सदाचार।
गुरुदेव संत रामानंद से शिक्षा पाई,
प्रेम तथा आध्यात्म ज्योति जलाई।
कुरीतियाँ व छुआ-छूत को मिटाकर,
सच्चरित्र सदगुण की अलख जगाई।
मीराबाई ने रविदास को गुरु माना,
मार्गदर्शन से ईश्वर आस्तित्व जाना।
दुनिया को भाईचारे का संदेश दिया,
जोर दिया सद्व्यवहार को अपनाना।
भारतवर्ष है अनमोल रत्नों का देश,
आते यहाँ धरा पर देव धर संत वेश।
जन उद्धार करें सदा कर्म व वाणी से,
सुवासित व सुसंस्कृत करते परिवेश।।
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