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सारे रास्ते सुनसान है (कविता)

सारे रास्ते सुनसान है,
मंदिर भी वीरान है।
क़ैद हो गई ज़िंदगी,
हर इंसान परेशान है।
ये कैसी बीमारी आई,
ख़तरे मे सब की जान है।
कोरोना वायरस के आगे,
आज फेेेल विज्ञान है।


लेखन तिथि : 27 अप्रैल, 2020
            

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