घर-घर पहचाने है
शीशम-सागौन!
महिमा है इनकी भी
कुछ कम नही!
इमारती लकड़ी है
बेदम नही!
भोर उठी कर रही
नीम का दातौन!
होता है पेड़ से
स्वच्छ परिवेश!
मौसम बदलेगा
बार-बार भेष!
सभी फूल फूले हैं
बिरला जासौन!
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