सुरों का सजाया अनुपम संसार आपने,
हिन्दी साहित्य को दिए कितने ही नगमे।
हिन्दी गीत संगीत को मिली आपसे नई पहचान,
विश्व पटल पर दिलाया आपने भारत को सम्मान।
दुःखी है पूरा राष्ट्र आज, ग़म है आपके बिछड़ने का,
चली गई सुरों की सम्राग्यी आज छोड़, वक़्त है याद करने का।
आपकी आवाज़ तो गूँजती रहेगी सालों साल, गूँजेगी शब्दों की ताल,
क्यों चली गई राष्ट्र को छोड़ आप, राष्ट्र का हो रहा हाल बेहाल।
नमन करते हैं आज हम आपको, याद करते हैं आपकी सादगी,
नाम अमर रहेगा आपका हमारे मानस में, करते हैं आपकी बंदगी।
कभी कभी विधाता भी हो जाता निष्ठुर, नहीं सुनता किसी की फ़रियाद,
एक युग का यूँ हुआ अंत, भारतीय सुर संगीत का जगत हुआ अनाथ।
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