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श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे (गीत) Editior's Choice

राधा बोली चलो सखी मधुवन,
श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे।
सुन रोम रोम सखि पुलकित तन मन,
कान्हा नटवर मुख नैन निहारे।

दौड़ी राधा छोड़ छाड़ काज घर,
रुनझुन पाजे़ब स्वरित मधु बाजे।
लखि राधे मनमोहन मुरलीधर,
कालिन्दी तट तरु तल मुस्कावे।

गोरी राधा गलहार कृष्णमय,
वामांगी प्रियतम कृष्ण सुहावे।
ललित लोल लालित मुरलीधर स्वर,
मुग्धा राधा हर्षित मुस्काए।

तू जन्मों की नवनीत राधिके,
तुम ही बंशीधर राग रचावै।
नृत्य गीत संगीत कलानिधि प्रिय,
मन मुकुन्द मनहर रूप रिझावै।

पीताम्बर गिरधारी मन माधव,
पंचम स्वर मुरली गीत सुनावै।
बैठे दामोदर तरु कदम्ब तल,
राधा माधव सखि वाम सुहावै।

योगेश्वर मायापति हरि नटवर,
बजा बाँसुरी सुर मनुज रिझावै।
राधा वल्लभ भींगे मधुश्रावण,
झूला राधा श्रीकृष्ण झुलावै।

कजरी सोहर मल्हार मधुर स्वर,
ग्वाल बाल मृग द्विजगण मन भावै।
सुनो लला के बापू नंद बाबा,
मुरली ध्वनि कान्हा हमें पुकारे।

गोपीचंद लीलाधर जग षोडश,
सिर मोर मुकुट पीताम्बर भावै।
निर्मोही भवसागर सुखसागर,
राधा रमणी तज मथुरा आवै।

शान्तिदूत संघर्ष मुदित मन,
धर्म विजय सत्पथ यश गावै।
सदाचार संस्कार सुविचारक,
गीताज्ञान रस कर्मपथ गावै।

चतुर्वेद विद्या चौदह दर्शन,
केशव मुरली ममधुरिम यश गावै।
महाशक्ति राधा गोविन्द श्री,
सुख प्रेम शान्ति परहित महकावै।

भज ले रे मन प्रिय राधा माधव,
वासुदेव यशुमति सुख पावै।
शरणागतवत्सल कृपासिंधु हरि,
वैकुण्ठलोक परम धाम सुहावै।


लेखन तिथि : 18 अगस्त, 2022
            

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