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सुभाष चंद्र बोस (कविता)

स्वतंत्रता संग्राम के सर्वोच्च नायक
राष्ट्रवाद के बड़े उन्नायक
बंगाली बाबू पिता जानकी नाथ बोस
माँ प्रभावती दत्त की संतान
तेईस जनवरी अठारह सौ सत्तानवे
कटक उड़ीसा में जन्में थे
हमारे नेताजी सुभाषचंद्र बोस।
कलकत्ता विश्वविद्यालय से
बी॰ए॰ आनर्स की डिग्री ली,
आज़ाद हिंद फ़ौज के सुप्रीम कमांडर
उन्नीस सौ अड़तीस व उनतालीस में
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष बने
गांधी जी से मतभेद के चलते
अध्यक्ष पद छोड़ दिए,
फिर कांग्रेस से विदा हुए।
अंग्रेजों से लोहा लेने की ख़ातिर
जापान के सहयोग से
आज़ाद हिंद फ़ौज बनाया,
"तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"
अपना नारा था बुलंद किया।
इक्कीस अक्टूबर उन्नीस सौ तैंतालीस को
थी भारत की सरकार बनाई
जापान चीन इटली संग ग्यारह देशों की
सरकारी मान्यता भी थी पाई,
जापान ने तब नेताजी को
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
नेताजी की को सौंप दिया।
1944 में आज़ाद हिंद फ़ौज ने
अंग्रेजों पर हमला बोल दिया
भारत के कई प्रदेशों को भी
अंग्रेजों से था मुक्त करा लिया,
छः जुलाई उन्नीस सौ चौवालीस को नेताजी ने गाँधीजी का आशीर्वाद
रंगून रेडियो स्टेशन से अपनी बात
प्रसारण कर था माँगा।
18 अगस्त उन्नीस सौ पैंतालीस को
कथित विमान दुर्घटना में
मारे जाने का प्रचार हुआ,
पर पुख़्ता सबूत आज तक
कभी नहीं सार्वजनिक हुआ।
ख़ुफ़िया दस्तावेज सामने आयें
जनहित याचिका भी पड़ ही गई,
छः जुलाई दो हज़ार चौदह को
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने
विशेष पीठ गठन का आदेश दिया।
आज़ाद हिंद फ़ौज के पचहत्तर साल पर
मोदीजी ने लालकिले पर तिरंगा फहराया
एक सौ पच्चीसवीं जयंती पर नेताजी के
तेईस जनवरी दो हज़ार इक्कीस को
भारत सरकार ने पराक्रम दिवस मनाया।
देश के इस वीर बाँकुरे का
यदि गौरव गाथा गाना है,
तो उनके मृत्यु के रहस्य से
पर्दा भी हमें उठाना है,
नेताजी को देश का
यही नमन वंदन होगा,
सच से जब पर्दा उठेगा
तभी पूर्ण अभिनंदन होगा।


लेखन तिथि : 21 जनवरी, 2022
            

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