भारत सौंधी माटी में महके,
सुभाष एक सितारे थे।
आज़ादी आंदोलन चमके,
नेताजी एक धुव्रतारे थे।।
जिनकी आज़ाद हिंद फ़ौज से,
बिरतानी घबराते थे।
जिनके साहस पराक्रम के,
जर्मन रंगून अहाते थे।
'तुम मुझे ख़ून दो,
मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"
महज़ नहीं एक नारा था।
युवाओं में जोश जगाकर,
जंगे आज़ादी पुकारा था।
अन्याय-ग़लत सहने को,
वे अपराध तुल्य बताते थे।
आशा की एक किरण को,
नेताजी सहारा जताते थे।।
असफलता स्तंभ सफलता,
संबंध हार-जीत बताते थे।
सनक से जन्मती महानता,
नेताजी गूढ़ रहस्य बताते थे।।
अपनी ताक़त पर करो भरोसा,
उधार ताक़त महज़ एक शोशा।
जीवन आनंद निहित संघर्ष में,
नेताजी रोज़ निभाते थे।।
आज़ाद हिंद फ़ौज के बल,
अंडवार तिरंगा फहराया था।
जिनके साहस कूटनीति से,
बिरतानी भी थर्राया था।।
सचमुच माँ भारती, अमूल्य,
अतुल्यनीय वह सितारा था।
स्वाधीनता समर ध्वजवाहक,
सुभाषचन्द्र बोस हमारा था।।
१२५ वें अवतरण दिवस पर,
नेताजी को जय हिंद कहें।
इंडिया गेट मूरत स्थापना का,
निर्णय स्वागत आभार कहें।।
७५ वें अमरत महोत्सव पर,
वीर शिरोमणियों मान करें।
भारत माँ के अमर शहीदों को,
जय गणतंत्र नाद सम्मान करें।।
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