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सुनो आज प्रस्तर की महिमा (कविता) Editior's Choice

सुनो आज प्रस्तर की महिमा...

हिन्द प्रान्त पर आदिकाल से,
हुआ जहाँ प्रस्तर गुणगान।
धरती ने पट खोल यहाँ पर,
स्वयं किया प्रस्तर सम्मान।

प्रेम भाव से जिसने पूजा,
हर प्रस्तर में राम दिखे।
दिखी अयोध्या, मथुरा, काशी,
प्रस्तर में शिव, श्याम दिखे।

इस धरा हेतु ही अनंत काल,
ये प्रस्तर ही वरदान बने।
सुनो प्रश्नचिन्ह रखने वालों,
कैसे प्रस्तर ये महान बने।

कुमुदबन्धु की रश्मि तानकर,
बना सेतु रघुनंदन का।
तरे आज हैं अगणित प्रस्तर,
उठा घोष है वंदन का।

इन्द्र प्रलय से काँपे वासी,
जल धारा ने वार किया।
उठा इसी प्रस्तर को माधव,
गोकुल का उद्धार किया।

हुए मूर्छित जब रण लक्ष्मण,
छूटी आस हुए सब जलधर।
प्राण बचाने हेतु वहाँ तब,
हनुमत लाए उठा वो प्रस्तर।

केदारनाथ में आई प्रलय जब,
सरित धार ने हिम्मत झोंकी।
किन्तु वहाँ प्रस्तर ने आकर,
मंदिर की वह प्रलय थी रोकी।

तुम कहते हो प्रस्तर क्या है?
क्यों हम इसको रहे पूजते।
कितने और प्रमाण दिखाऊँ?
इसीलिए हम आज पूजते।


लेखन तिथि : 13 अप्रैल, 2022
            

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