मुम्बई, महाराष्ट्र | 1981
जलो मत न जलाओ किसी को यदि जलाना है तो अंदर के विकारों को जलाओ अप्प दीपो भव: बनो कुंदन बनोगे आत्म चेतना जिस दिन जल गई फिर क्या जलना क्या बुझना?
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