आम हुए हैं
मधुॠतु के मुख़्तार!
दूर तक
लहराती फ़सलें!
दुख की
दिखती नहीं नस्लें!
लाल गुलाबी
टेसू के रुख़सार!
गंध को
उलीचता समीर!
ताकते नयना
हैं अधीर!
सूर्य कर रहा
किरणों का व्यापार!
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें