देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ठंडी का फैलाव (दोहा छंद)

मैंने देखा हर जगह, ठंडी का फैलाव।
ठिठुर रही इस देह का, साथी बना अलाव।।


लेखन तिथि : 18 जनवरी, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें