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तुम बिन कौन उबारे (गीत)

हे कान्हा हे मोहन मेरे, तुम बिन कौन उबारे।
मेरे मोहन मेरे कृष्णा तुम ही एक सहारे। 2

इस धरती पर आकर कान्हा
तुम भी तो रोए थे।
कारागृह में जन्म लिया था,
माँ बाबा खोए थे।
तड़प उठी मानवता थी,
बस केवल तुम्हे पुकारे।
हर कोई तो दुःखी यहाँ था अपने दुःख से हारे।
हे कान्हा हे मोहन मेरे बन जाओ रखवारे।
हे कान्हा हे मोहन मेरे... 2
मेरे मोहन... 2

नंद यशोदा के लाला बन,
ग्वाल बाल संग खेल किया।
मीत सुदामा, गोपी, गइयाँ,
मुरली के संग मेल किया।
थोड़ी सी मुस्कान कन्हैया जग को दे दो प्यारे।
हे कान्हा हे मोहन मेरे... 2
मेरे मोहन... 2

पंचाली के भैया बनकर तुमने लाज बचाई रे।
अमर प्रेम राधा संग राचा, मीरा भूल न पाई रे।
दुष्ट कंस पूतना वकासुर एक-एक कर सब मारे।
हे कान्हा हे मोहन मेरे... 2
मेरे मोहन... 2

बने सारथी तुम अर्जुन के,
कर्म योग संदेश दिया।
स्वयं जटिल जीवन जीकर भी,
गीता का उपदेश दिया।

तड़प उठी मानवता अब,
ये केवल तुम्हें पुकारे।

तुम बिन मेरे कान्हा,
अब ये नइया कौन उबारे।
थोड़ी सी मुस्कान कन्हैया,
जग को दे दो प्यारे।

हर कोई है दुःखी यहाँ तो,
अपने दुख से हारे।
हे कान्हा हे मोहन मेरे... 2
मेरे मोहन... 2


लेखन तिथि : 5 अगस्त, 2019
            

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