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तुम्हारा हर दिन का रूठना गंवारा नहीं लगता (शेर)

तुम्हारा हर दिन का रूठना गंवारा नहीं लगता,
मेरा हर दिन का मनाना प्यारा नहीं लगता।


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : 29 फ़रवरी, 2021
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222 1222 1222
            

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