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वंशी के स्वर (नवगीत)

कानों में
गूँज रहे
वंशी के स्वर।

पंछी का दल
उड़ चला
आकाश में।
गाछ को लता
बाँधे हुए
पाश में।।

छाया सा
सिमट गया
अनजाना डर।

गलियों में
चहल पहल
राम राम है।
ठंड से
ठिठुरती ये
सुबह शाम है।।

ख़ुशियों से
लबालब हैं
आठों पहर।


लेखन तिथि : 16 अक्टूबर, 2019
            

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