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युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद जी का संदेश (आलेख)

महज़ 39 साल की जीवन यात्रा में ही स्वामी विवेकानंद जी न केवल भारत के आध्यात्मिक गुरू बने, बल्कि दुनिया भर को अध्यात्म और हिंदुत्व का पाठ पढा़ने के अलावा कम उम्र में अपने अर्जित ज्ञान की बदौलत युवाओं के प्रेरणा स्तंभ भी बन गए। स्वामी विवेकानंद जी ने देश के युवाओं को अपने ज्ञान के प्रकाश से बेहतर भविष्य के मार्ग चयन को आलोकित किया। कम उम्र में शिकागो धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने विचारों और अलौकिक ज्ञान से सभी को प्रभावित कर अपना लोहा मनवा दिया था।

राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने के पीछे भी उनके भाषणों में युवाओं के लिए संबोधन की अधिकता है। उनके विचार, संबोधन सीधे युवाओं को संबोधित करते रहे हैं। क्योंकि युवा समाज और राष्ट्र का भविष्य हैं।
आज भी स्वामी विवेकानंद जी के विचार, संदेश उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि उस समय थे, जब स्वामी जी ने अपने स्वयं के संबोधनों में दिए थे।
स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं को अपने संदेश में उनके ही नहीं समाज और राष्ट्र के प्ररिप्रेक्ष्य में कहा कि "ख़ुदा, ईश्वर, भगवान अथवा सर्वशक्तिमान सत्ता पर तुम तब तक भरोसा नहीं कर सकते, जब तक तुम्हें ख़ुद पर भरोसा नहीं है।"
सोचिए कि हम उस ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ने जा सकते हैं? जब हम खुद में और हर इंसान में ईश्वर को नहीं देख सकते।
"दुनिया का एकमात्र पाप ख़ुद को ही नहीं औरों को भी कमज़ोर समझना है। यह मत भूलो कि किसी भी आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है।
जितना अधिक हम औरों की मदद करते हैं, हमारी आत्मा उतनी ही अधिक निर्मल होती है। क्योंकि ऐसे लोगों में ईश्वर का वास होता है।"
"दुनिया एक व्यायाम शाला है जहाँ हम ख़ुद को मज़बूत बनाने के लिए आते हैं।"
वैसे तो स्वामी जी के उपरोक्त विचार/संदेश युवाओं पर केंद्रित हैं, परंतु इसकी गहराई, उदेश्य और लक्ष्य संपूर्ण संसार और हरेक इंसान को लक्षित करता प्रतीत होता है।
आज हमारी ही नहीं हम सबकी, विशेषकर युवाओं की ज़िम्मेदारी है कि हम सब स्वामी जी के संदेशों विचारों और दिखाए मार्ग पर चलने का ख़ुद से संकल्प लें, औरों को प्रेरित करें। ताकि न केवल युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो, बल्कि राष्ट्र और समाज भी बेहतर से बेहतर कल के सपने को धरातल पर देख सके और सुंदर सुखद जीवन जी सके।
वास्तव में यही हम सबकी स्वामी विवेकानंद जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शत्-शत् नमन।


            

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