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ज़हन होगा प्रखर अब तो (ग़ज़ल)

ज़हन होगा प्रखर अब तो,
सुहाना है सफ़र अब तो।

यहाँ माहौल ऐसा है,
सुख़न की है लहर अब तो।

ख़ुशी से हैं लबालब पल,
हुए उत्सव पहर अब तो।

कहानी बन गई उनकी,
पराया सा शहर अब तो।

कहाँ तक पथ निहारूँ मैं,
न कोई है ख़बर अब तो।


लेखन तिथि : 12 जनवरी, 2020
            

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