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ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल (शेर) Editior's Choice

ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ,
कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ।


            

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