आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे (शेर)

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे,
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे।


रचनाकार : मिर्ज़ा ग़ालिब
लेखन तिथि : 1816
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