आग की कहानी (नवगीत)

धुएँ से सुनी है हमने
आग की कहानी!
आग की कहानी जो है सदियों पुरानी!

पत्थर के घर में जन्मी
जंगल ने पाली
जल ने जलन अपनी
दिल में छुपा ली

पेट में रही तो बोली
भूख की ज़ुबानी!
आग की कहानी जो है सदियों पुरानी!

बाहर की अगनी
जब ये दिल में समाई
राधा बनी तो पल में
बनी ये कन्हाई

यही आग पी के मीरा
हुई थी दीवानी!
आग की कहानी जो है सदियों पुरानी!

मन के समंदर में यह
ज्वार की अगनी
बुझी ना किसी से भी ये
प्यार की अगनी

बादल भी हारे,
हारा नदियों का पानी!
आग की कहानी, जो है सदियों पुरानी!


रचनाकार : कुँअर बेचैन
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