साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
1846 - 1921
आह जो दिल से निकाली जाएगी, क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी। इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा, आप से क्यूँकर सँभाली जाएगी। क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद को, और इक बोतल चढ़ा ली जाएगी। शैख़ की दावत में मय का काम क्या, एहतियातन कुछ मँगा ली जाएगी। याद-ए-अबरू में है 'अकबर' महव यूँ, कब तिरी ये कज-ख़याली जाएगी।
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