आज की रात (कविता)

कल जो जो कहोगे
वो वो खाना बना दूँगी
प्याज, लहसुन, नमक और मिर्चा मिलाकर
वो मोटी रोटी सेंक दूँगी खरी खरी
उस दिन मजूरी के बदले
बड़े बाबू ने जो पुरानी नीली वाली
क़मीज़ दी थी उसे फीच दूँगी

अपनी भूख में से
आधी भूख मुझे दे दो
मेरी खटिया में से आधी खटिया ले लो
मेरी कथरी से दो तिहाई कथरी
चाहो तो पूरी चादर ले लो
या ओढ़ लो मेरी आधी साड़ी ही
जहाँ मन हो वहाँ मेरे बदन पर रख लो हाथ
मेरी नींद में से आधी नींद ले लो
लेकिन हाथ जोड़ती हूँ
बगल में सोए बिट्टू की क़सम
आज रहने दो।


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